दर्द दिल
में छिपा मुसकराते रहे
राजेश त्रिपाठी
वक्त कुछ इस कदर हम
बिताते रहे ।
दर्द दिल
में छिपा मुसकराते रहे ।।
जिसपे भरोसा किया उसने हमको छला।
परोपकार करके हमें क्या मिला।।
पंख हम बन गये जिनके परवाज के।
आज बदले हैं रंग उनके अंदाज के।।
मुंह फेरते हैं वही
गुन हमारे जो गाते रहे।
दर्द दिल
में छिपा मुसकराते रहे ।।
कामनाएं तड़पती सिसकती रहीं।
प्रार्थनाएं ना जाने कहां खो गयीं।।
हम वफाओं का दामन थामे रहे ।
जिंदगी हर कदम हमको छलती रही।।
जुल्म पर जुल्म हम
बारहा उठाते रहे।
दर्द दिल
में छिपा मुसकराते रहे ।।
आंसुओं का सदा हमसे नाता रहा।।
नेकनीयत पर हम तो कायम रहे।
हर कदम जुल्म हम पे वो ढाते रहे।
दिल दुखाना तो उनका
शगल बन गया।
दर्द दिल
में छिपा मुसकराते रहे ।।
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