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Wednesday, December 5, 2018

एक गजल


कोई अपना बिछड़ गया होगा
राजेश त्रिपाठी
देखो कुटिया का दम अब घुटता है।
सामने इक महल आ तना होगा।।
उसकी आंखों में अब सिर्फ आंसू हैं।
सपना सुंदर-सा छिन गया होगा।।
वह तस्वीरे गम मायूसी है ।
वक्त ने हर कदम छला होगा।।
उसको मुसलसल है इक तलाश।
कोई अपना बिछड़ गया होगा।।
जिस्म घायल है, दिल पशेमां है।
सानिहा* कोई गुजर गया होगा ।।
थक के बैठा है दरख्तों के तले ।
जानिबे मंजिल है, ठहर गया होगा।।
हर तरफ जुल्म औ दौरे मायूसी है।
कारवां इंसाफ का ठहर गया होगा।।
उसका चेहरा किताब है दिल का।
हर तरफ दर्द ही दर्द लिखा होगा।।
ख्वाबों के सब्जबाग जाने कहां गये।
अब तो हसीं सपना बिखर गया होगा।।
वह गरीब है बारहा* करता फांकाकसी।
तरक्की का कारवां कहीं ठहर गया होगा।।
रो रही है जार-जार कोई दुख्तर ।
जख्म कोई अजनबी दे गया होगा।।
कलम कुंद है लब खामोश से हैं।
सच कहनेवालों पे संगीनों का पहरा होगा।
उसकी चीख का भी ना हो सका असर।
लगता है निजामे वक्त भी बहरा होगा।।
आपको इनसानियत का है वास्ता।
सुधारो मुल्क वरना दर्द ये और भी गहरा होगा।।
.........................................................
सानिहा* =दुर्घटना, हादसा, मुसीबत
बारहा*= अकसर, बारबार, बहुधा
दुख्तर* =बेटी, पुत्री
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गीत

पूरी दुनिया गाती अब तक जिसकी शौर्य कहानी
राजेश त्रिपाठी
नहीं  झुके हैं नहीं  झुकेंगे  हम  वीर बलिदानी
हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी।।

वीर शहीदों के बलिदानों से हमने पायी थी आजादी।
दिल बोझिल है, आंखें नम, देश की  लख बरबादी।।
केसर  क्यारी सिसक रही धधक रहा  कश्मीर  है।
भू-स्वर्ग  दोजख  बन बैठा सही ना जाती पीर है।।

बच्चों के  हाथों में  पत्थर, लख होती  हैरानी।
हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी।

भेज रहा आतंक की  खेपें, ऐसा  है शैतान।
पाक तो जैसे खो चुका है धर्म और ईमान।।
देश-विरुद्ध देश के  बच्चों  को जो  बहकाये।
‘ कश्मीर चाहे आजादी हरदम बांग लगाये।।

कश्मीरियों के लिए बहाता आंख से नकली पानी।
हम हिंदुस्तानी, हम  हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तनी ।।

भूल रहा शैतान इसने हमसे युद्ध में मुंह की खाई है।
अपना हर जवान भगत सिंह, हर बाला लक्ष्मीबाई है।।
घर-घर  में अब्दुल हमीद  हैं,  जर्रे-जर्रे में  बतरा  हैं।
मातृभूमि हित लुटा  सकते खून का कतरा कतरा हैं।।

भारत के हित कुरबान कर चुके अपनी जो जवानी।
हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी।।

कश्मीर से कन्याकुमारी तक अपना भारत एक है।
हिंदू, मुसलिम, सिख,ईसाई इसके सारे बंदे नेक है।।
सबके मन में भारत है दिल में इनके तिरंगा है।
सब धर्मों को देता आदर मेरा भारत सतरंगा है।।

कुचल डालिए इसे छेड़ने की हर इक कारस्तानी।
हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी।।

जहां हुए तुलसी, कबीर, जायसी औ रहीम रसखान।
गंगा-जमनी तहजीब जहां , मेरी जान ये हिंदुस्तान।।
बच्चा-बच्चा  वीर  है इसका घर-घर में आजाद हैं।
इसीलिए ये देश हमारा, देखो शाद और आबाद है।।

पूरी दुनिया गाती अब तक जिसकी शौर्य कहानी।
हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी।।

आओ इस पुनीत दिवस पर हम  कसम ये खायें।
हिमालय से तन जायेंगे गर देश पर आयें बाधाएं।।
अपना पल-पल ऋणी है इसका ये अपना आधार है।
यह है तो हम है  इससे हम सबको बेहद प्यार है।।
जो भी हमसे टकरायेगा उसको पड़ेगी मुंह की खानी।
हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी, हम हिंदुस्तानी ।।