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Thursday, June 12, 2014

एक गज़ल



नजारों में वो बात न थी


वो लमहे जब तू मेरे पास न थी।
ज्यों जिंदगी मेरे पास न थी।।
यों बहारें थीं समां सुहाना था।
तेरे बगैर नजारों में वो बात न थी।
ख्वाबों की महफिल उदास थी।
नगमें सभी थे ज्यों खोये हुए।।
हम तेरी याद में जागा किये।
अश्कों से दामन भिगोये हुए।।
तुम गयी  याद तो साथ थी।
जिसके सहारे कटे रात-दिन।
तेरी फुरकत* में ओ बेवफा।
दिन गुजरे पल-छिन गिन-गिन।।
जालिम थी तेरी तिरछी नजर।
वो पड़ी तो दिल घायल हुआ।।
तू लाजवाब है लासानी है।
इस बात का कायल हुआ।।
तेरी पायल की रुनझुन।
कंगना की खनक।
आंखों की तेरी निराली चमक।
सब बेमिसाल है बाकमाल है।
इनकी न दूजी मिसाल है।।
तू है तो जिंदगी के हैं मायने।
तू नहीं तो सभी कुछ बेकार है।।
तू जमीं की फसले बहार* है।
तू सरापा* बस प्यार है प्यार है।।
पड़ जायें जहां नाजुक कदम।
जिंदगी झूम कर गाने लगे।।
खिजां में बहारें हंसने लगें।
गमजदा शख्स मुसकाने लगे।।
तेरे हुस्न का ऐसा कमाल है।
हर तरफ बस इसका जमाल है।।
नयन तेरे बिन बेचैन हैं।
दीदार का बस सवाल है।।
तू जो आये करार आ जाये।
जिंदगी में बहार आ जाये।।
तेरी नफरत भी ऐसी है।
इस नफरत पे प्यार आ जाये।।
      -राजेश त्रिपाठी
फुरकत*= जुदाई, विछोह
फसले बहार*= वसंत ऋतु
सरापा* सर से पैर तक
(स्केच-प्रियंका पाटिल-साभार)


Monday, June 9, 2014

स्वागत



निजामे हिंद को मोदी जो मिल गया
इक शख्श फर्श से यों अर्श तक है तन गया।
सूरमा थे जितने अर्श के बौना वो कर गया।।
कीचड़ जहां दुश्मनों की तरफ से उछाले गये।
वो सभी उसके लिए बन कमल हैं खिल गये।।
हिंद को अब शासक नहीं सेवक है मिल गया।
ताब जिसकी देख  हर दुश्मन है हिल गया।।
मुद्दत के बाद इक सच्चा रहबर है मिल गया।
निजामे हिंद को आला मोदी जो मिल गया।।
माना कि राह में कांटे हैं, हैं दुश्वारियां भी हैं।
कच्चा नहीं खिलाड़ी, इधऱ तैयारियां भी हैं।।
अब कारवां तरक्की फिर  से रवां दवां होगा।
जुल्मो-सितम का आलम, हिंद से हवा होगा।।
सब यही सोचते हैं कि, अब क्या, कैसा होगा।
बदतर नहीं, अब जो भी होगा बेहतर होगा।।
आओ खैरमकदम करें उनके अब आने का।
अब तो खत्म हो दौर, गम के फसाने का।।
युग नया जो लाया है,उसे यह एहसास है।
उस पर अवामे हिंद ने किया विश्वास है।।
वह उनकी उम्मीदों को नयी  जान देगा।
यकीं हैं हिंद को आला पहचान भी देगा।।
इंसां है इरादों में अटल, कर दिखायेगा।
लगता है देश में वो रामराज्य लायेगा।।
अब न जाति-भेद से कोई उदास होगा।
हर सिम्त अब तो  बस विकास होगा।।
पूरे होंगे अब सभी जिनके जो भी ख्वाब हैं।
अरसे के बाद मुल्क में हुआ सही इंतिखाब है।।
मां का लिया आशीष, अभय वरदान मिल गया।
मुसकाया हिंदुस्तान हर इक का दिल खिल गया।।

         -राजेश त्रिपाठी

युग नया




युग नया जो आया संदेश दे रहा है

युग नया जो आया संदेश दे रहा है।
दुख के दिन बीते, देश बढ़ रहा है।।
अच्छे दिन तो जैसे आ ही गये हैं।
मोदी युग-नायक से छा ही गये हैं।।
      सपनों को अब मिल गयी हैं राहें।
      खुल गयीं हैं विकास की भी बाहें।।
      हर दिशा में अब नव उल्लास होगा।
      अब तो हर पल बस विकास होगा।।

दुनिया के सारे नेता साक्षी बने हैं।
सेवक मोदी देश नायक जो बने हैं।।
वे देश की दशा को संवारने चले हैं।
जानते हैं दुख, गरीबी में जो पले हैं।।
हे जगत के नियंता तुम साथ-साथ रहना।
बदले भारत- भाग्य इतना करम तो करना।।
सदियों से दुख भोगा,शोषित रहे जो वंचित।
उनको न तोड़ना, सपने जो इनके संचित।।
आसेतु हिमालय, ये देश खिल गया है।
सच्चा देश नायक, उसे मिल गया है।।
उनको है भरोसा वह कर दिखायेगा।
इस देश में वह रामराज्य लायेगा।।
दृढ़प्रतिज्ञ है वह, इरादे का अटल है।
नजर में उसकी अब विश्व पटल है।।
दुनिया में फिर भारत का मान होगा।
उसकी प्रतिभा का फिर सम्मान होगा।।
प्राची में उग गया है नवल नव दिवाकर।
समता के प्रकाश से भर जायेगा घऱ-घर।।
मोदी है जिसका नाम, है सच्चा सिपाही।
उसका हर इक कदम दे रहा है गवाही।।
संस्कृति का हामी, भारत मां की संतान है।
वाणी में है भारत, सांसों में हिंदोस्तान है।।
विष-बोल उसने झेले, अविचल रहा हमेशा।
क्या आपने कभी हिम्मती है देखा ऐसा।।
मुदित होगा भारत मोदी जो आ गये हैं।
हर दिल में बन उम्मीद जो छा गये हैं।।
बस यही है प्रार्थना प्रभु आप साथ देना।
पुण्यभूमि भारत को गौरव उसका देना।।
                  -राजेश त्रिपाठी